Friday, June 27, 2014

वनवासि‍यों का खाद्य मेला



वनवासि‍यों का खाद्य मेला
                                


जंगल के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य का राज़,                                                       उनका प्राकृति‍क-पौष्‍टि‍क आहार

जन सहयोग केन्द्र गनियारी के सौजन्य से अचानकमार के अंदर गांव में बसने वाले ग्रामीणों और विभिन्न जनजाति के लोगों का एक खाद्य मेला आयोजित किया गया ग्राम ब्रम्हनी में। बिलासपुर से करीब 70-75 किमी दूर अचानकमार के जंगल के अंदर बसा हुआ एक गांव बम्हनी, जहाँ गनियारी के अस्पताल का एक छोटा सा स्वास्थ्य केन्द्र भी है और इस केन्द्र के आसपास के दसियों गाँवों के लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग रहते हुए लगातार यहाँ पहुँचते हैं और यहाँ के समर्पित डॉक्टर जिस तरह से इनका इलाज करते हैं, इनका ध्यान रखते हैं ये एक अलग मुद्दा है फिलहाल बात करते हैं उस खाद्य मेले की। गाँव में रहने वाले शुद्ध हवा और शुद्ध पानी तो अभी भी प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन उनमें समाहित ऊर्जा, उनके शरीर की ताकत, उनमें काम करने की असीमित क्षमता का कारण है उनका पौष्टिक आहार। जब हम इस मेले में पहुँचे तो अलग अलग टेबलों पर सजे व्यंजनों की खुशबू और ग्रामीण महिलाओं का उत्साह....हम सचमुच हैरान रह गये। जंगल के बीच बसने वाली महिलाओं के करीब 40 स्व-सहायता समूह की महिलाएं महुए, भुट्टे, विभिन्न प्रकार के कांदे और भाजियों आदि के ढेर सारे व्यंजनों को बनाकर लाई थीं। और जब हमने इन व्यंजनों को चखा तो और भी हैरान हो गये। कम तेल मसालों और पौष्टिक तत्वों से भरपूर ये व्यंजन उतने ही स्वादिष्ट भी थे। कुछ महिलाओं से बातचीत, व्यंजनों को बनाने की विधियां और उनमें समाहित पौष्टिक तत्वों की जानकारी के साथ प्रस्तुत है ये ऑडि‍यो रिपोर्ट और फोटो गैलरी-


















प्रस्‍तुति‍-   -  संज्ञा टंडन        
सहयोग  - सुप्रि‍या भारतीयन, मीनू सिंह, सुनील चि‍पड़े


3 comments:

  1. इस कार्यक्रम के विषय में मुझे भी बताना, मैं भी चख लेता स्वाद इंडिया का। :)

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  2. कृपया अपने इस महत्वपूर्ण हिन्दी ब्लॉग को ब्लॉगसेतु http://www.blogsetu.com/ ब्लॉग एग्रीगेटर से जोड़कर हमें कृतार्थ करें …. धन्यवाद सहित

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  3. पारम्परिक खाद्य सामग्रियों का खजाना है...हमारे देश में आप सौभाग्यशाली हैं जो उन्हें चखने का मौका मिला...हमें आपकी पोस्ट से ही काम चलाना पड़ रहा है...

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