आज के शब्द हैं - 'बरामद' व 'ज़ब्त' और 'बवाल' व 'बावला'......
आमतौर पर हम एक समान अर्थों वाले या समान दीखने वाले शब्दों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। भाषावैज्ञानिक दष्िट से उनके सूक्ष्म अंतरों का विश्लेषण शब्दों के जोडों के रूप 'बोलते शब्द' (लेबल) के अंतर्गत पॉडकास्ट के रूप क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं.........
आलेख - डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा
वाचक -संज्ञा
43. 'बरामद' व 'ज़ब्त'......
आमतौर पर हम एक समान अर्थों वाले या समान दीखने वाले शब्दों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। भाषावैज्ञानिक दष्िट से उनके सूक्ष्म अंतरों का विश्लेषण शब्दों के जोडों के रूप 'बोलते शब्द' (लेबल) के अंतर्गत पॉडकास्ट के रूप क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं.........
आलेख - डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा
वाचक -संज्ञा
43. 'बरामद' व 'ज़ब्त'......
ब्लॉग जगत के
ReplyDeleteइस क़दर फैले हुए बवाल से
इधर से उधर आते-जाते
इस नायब ब्लॉग को बरामद किया है
और ... प्रयास रहेगा कि
किसी भी तरह इसे ज़ब्त नहीं होने देना है
लगता तो नहीं है कि बावला कहा जाऊंगा !!
अभिवादन स्वीकारें .
ऊपर.....
ReplyDeleteकृपया
नायब को " नायाब" पढ़ें