आज के शब्द हैं - 'बाई' व 'लक्ष्मीबाई' और 'बावजूद' व 'दरअसल'......
आमतौर पर हम एक समान अर्थों वाले या समान दीखने वाले शब्दों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। भाषावैज्ञानिक दष्िट से उनके सूक्ष्म अंतरों का विश्लेषण शब्दों के जोडों के रूप 'बोलते शब्द' (लेबल) के अंतर्गत पॉडकास्ट के रूप क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं.........
आलेख - डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा
वाचक -संज्ञा
45. 'बाई' व 'लक्ष्मीबाई'......
46. 'बावजूद' व 'दरअसल'......
आमतौर पर हम एक समान अर्थों वाले या समान दीखने वाले शब्दों को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं। भाषावैज्ञानिक दष्िट से उनके सूक्ष्म अंतरों का विश्लेषण शब्दों के जोडों के रूप 'बोलते शब्द' (लेबल) के अंतर्गत पॉडकास्ट के रूप क्रमश: प्रस्तुत किये जा रहे हैं.........
आलेख - डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा
वाचक -संज्ञा
45. 'बाई' व 'लक्ष्मीबाई'......
46. 'बावजूद' व 'दरअसल'......
यह अपने ढंग का अनूठा ब्लॉग है |बधाई और शुभकामनाएं |लेकिन एक अनुरोध है आलेख टाईप करके ही लगाने का कष्ट करें कापी पेस्ट करने से पढ़ने में आनंद नहीं मिलता |
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बहुत सुंदर काम....
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