Thursday, November 25, 2010

छत्‍तीसगढी की 100 साल पुरानी रिकॉर्डिग

दुर्भाग्य की बात है कि विषय के रूप में भाषाविज्ञान या लिग्‍िवस्‍टिक्‍स प्रदेश के चुनिंदामहावदि़यालयों व वि.वि. में ही उपलब्‍ध है। भाषाविज्ञान जैसे भावाभिव्यक्ति के विकास के लिये अति महत्वपूर्ण विषय को इस क्षेत्र में वह मुकाम, वह सम्मान हासिल नहीं हुआ जैसा दीगर प्रांतों और विदेशों में हासिल हुआ है।


बानगी देखिये बिलासपुर भास्कर सोमवार 22 नवंबर के अंक में छपी श्री संजीव पाण्डेय की रिपोर्ट में और उसके बाद सुनिये श्री आलोक पुतुल  द्वारा सीजी स्वर को उपलब्ध करवाए गए उसी कार्य की रिकॉर्डिंग। ये याद रखें जनाब कि अच्छी खासी रिकॉर्डिंग 100 साल पहले भी होती थी।





श्री आलोक पुतुल व श्री संजीव पांडेय को कोटिशः बधाइयां और सीजी स्वर की तरफ से बहुत बहुत धन्यवाद।

5 comments:

  1. गजब की जानकारी. आभार.

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  2. श्री आलोक पुतुल व श्री संजीव पांडेय के साथ ही आपको इसे यहां सुविधापूर्ण रूप से प्रस्‍तुत करने के लिए धन्‍यवाद.

    मेरे हमनाम संजीव जी को भास्‍कर में छत्‍तीसगढ़ से ब्‍लॉग हलचलों के संबंध में ऐसी ही फ्रंटपेजिया जानकारी कभी प्रस्‍तुत करनी चाहिए ताकि वेबप्रमोटरों-ब्‍लॉगमाडरेटरों को प्रोत्‍साहन मिले।

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  3. Its a new experience for me.I didn't know about podcast....it's great work.I would also like to join the company of your pod casters.....

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