Tuesday, November 9, 2010

रेडियो धारावाहिक रचना - 4

रचना - चतुर्थ एपिसोड

गर्भावस्था (द्वितीय चरण)

हमारे इस धारावाहिक के पिछले एपिसोड में आपने सुना कि रचना मां बनने वाली है और शुरू के 6 महीनों में क्‍या सावधानी रखनी चाहिये ये भी हमने आपको जानकारी दी थी। अब रचना को सातवां महीना लग गया है आगे क्‍या हो रहा है आइये सुनते हैं।




रचना - आह...आह...
पति - क्या हुआ...रचना क्या हुआ.... कोई तकलीफ तो नहीं। शायद बच्चा हिल रहा था।
पति़ - हिल रहा था कि हिल रही थी।
रचना - क्या पता मुझे क्या मालूम।
पति - रचना तुम देखना लड़की होगी ।
रचना - पर माँ जी तो लड़का चाहती हैं ।
पति - लेकिन होगी लड़की ही तुम देखना और उसका नाम हम ज्योति रखेंगे।
रचना - और अगर लड़का हुआ तो?
पति - दीपक दीपक रखंेगे उसका नाम। वैसे रचना लड़का हो या लड़की हम उसे
खूब पढायेंगे लिखायेंगे ताकि वो अपना भविष्य संवार सके।
रचना - सच में मैं कितनी भाग्यशाली हूँ जो आपके समान सुलझा हुआ पति मिला ।
पति - ये सब बातें छोडो रचना तुम ये बताओ रामेश्वर आया था क्या ।
रचना - रामू भैया तो नहीं आए पर खबर भिजवाई थी कि शहर से आ गए हैं। क्या काम उनसे।
पति - अरे उसे ट्रेक्टर ट्राली की व्यवस्था के लिये कहा था ।
रचना - लेकिन डिलीवरी तो घर में दाई करेगी, तो गाड़ी का क्या काम।
पति - अरे मान लो कोई दिक्कत आ जाये। भगवान न करे कोई परेशानी खड़ी हो जाये तो
तुरंत स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल जाने के लिये वाहन तो लगेगा ना कि बैलगाड़ी से जाओगी।
रचना - लेकिन अभी तक तो कोई परेशानी नहीं है।
पति - परेशानी या मुसीबत तुम्हें बोलकर या दरवाजा खटखटाकर तो आयेगी नहीं। रामेश्वर को
मैंने कहा था कि अपनी गाड़ी तैयार रखना। क्या पता कब जरूरत पड़ जाये। मैं अभी आता हूँ।
रचना - जल्दी आना।
पति - बस यूं गया और यूं आया।


सुलेखा - गौरी काकी ये कमरा नहीं चलेगा।
सास - क्यों इसमें क्या बुराई है। थोड़ा छोटा जरूर है पर साफ-सुथरा तो है।
सुलेखा - वो तो ठीक है काकी, पर इसमें रोशनी कम है और कमरा अच्छा हवादार होना चाहिये।
सास - ऐसा-तो...तो फिर मेरा कमरा तैयार कर लेते हैं, उसमें दो खिड़कियाँ भी हैं।
सुलेखा - आपके कमरे में दो खिड़कियाँ हैं।
सास - हाँ - वो एक खिड़की आंगन में खुलती है - देखना पड़ता है ना, बहू कितना काम
कर रही है वैसे वो काम ठीक ठाक करती है।
सुलेखा - और दूसरी खिड़की।
सास - वो बाड़ी में ताजा हवा भी मिलती है और शैतान बच्चे नींबू, करौंदा, बेल वगैरह
तोड़ नहीं पाते।
सुलेखा - तभी आप इतनी तंदरुस्त हैं ताजा हवा जो आपको मिलती रहती है। लेकिन रचना के
प्रसव के लिये आपको उसे खाली करना होगा। उस समय बढ़िया धुलवाकर अच्छी तरह साफ भी
करवा दीजियेगा।
सास - लगता है कोई आया है।
सुलेखा - कमला दीदी दाई के साथ आई होंगी तैयारी देखने, उन्होंने ही मुझे भी यहाँ भेजा था।
सास - बड़ा ख्याल रखती है कमला। गाँव भर की मदद के लिये हमेशा तैयार रहती है।
कैसे कर लेती है इतना सब।
सुलेखा - आओ कमला दीदी थोड़ी देर कर दी आने में।
दाई - नमस्ते।
कमला - अरे हम तो समय पर आ गये थे। वो रास्ते में दीनू मिल गया था। रामेश्वर घर
में नहीं मिला तो गाँव भर में साइकिल दौड़ाते उसे ढँूढ रहा था। बेवजह घबरा जाता है दीनू।
सुलेखा - घबरायेगा क्यों नहीं आखिर पहली बार बाप बन रहा है।
सास - अभी कौन कल परसों में बाप बन रहा है। अभी तो समय है। लेकिन वो रामेश्वर को
क्यों ढूँढता फिर रहा है।
कमला - गाड़ी की व्यवस्था तो रामेश्वर ही कर रहा है ना गौरी काकी।
सास - बहुत दिनों से गाड़ी-गाड़ी सुन रही हूँ, आखिर उसकी जरूरत क्या है।
सुलेखा - भगवान न करे पर अगर उसे तेज बुखार आ जाये, चक्कर आ जाये, दौरा पड़ जाये,
सिर में तेज दर्द होने लगे, प्रसव पीड़ा 10-12 घंटे से ज्यादा चले या फिर प्रसव के बाद ज्यादा
क्त बहे तो एक स्थितियों में जच्चा को तुरंत इलाज की जरूरत होती है। तुरंत अस्पताल ले जाना
पड़ता है। इसलिये सावधानी के लिये गाड़ी का इंतजाम पहले से कर लेना अच्छा रहता है।
सास - तुम लोग ज्यादा ही पंचायत करते हो। हमारे समय में ऐसा कुछ नहीं था। घर की
बुजुर्ग ही सब संभाल लेती थीं।
कमला - इसीलिये उस समय शिशु मृत्यु दर ज्यादा थी। अप्रशिक्षत हाथ बच्चे की जान को
खतरे में डाल देते थे। आज प्रशिक्षित दाइयाँ हैं, सुविधाएँ हैं, जानकारियाँ हैं तो शिशु पहले के
मुकाबले ज्यादा सुरक्षित है।
सास - वैसे तुम ठीक कह रही हो। हम छः भाई बहन थे। मैं सबसे छोटी थी। पिताजी बताते
थे तीन तो जनम के समय ही साथ छोड़ गये और मेरे जन्म के 1 माह बाद माँ चल बसीं।
बड़ी मुश्किल से पाला गया था। मुझे....
सुलेखा - इसी को..इसी को....मातृ मत्यु कहते हैं। प्रसव के दिन से 45 दिनों दिनों के
भीतर माँ की मौत हो जाये तो उसे मातृ मृत्यु कहते हैं और ये सिर्फ गंदगी, या ये कह लो
लापरवाही के कारण होता है।
सास - हे भगवान यहाँ ऐसा कुछ ना हो तुम लोग जो बोलोगे वैसा ही होगा।
कमला - अरे काकी ऐसे से घबराने की जरूरत नहीं। ये अपनी दाई है ना - प्रशिक्षित भी है
और अनुभवी भी। ये सब संभाल लेगी, क्यों कुन्ती।
कुन्ती - बिल्कुल और मैं तो बिल्कुल तैयार हूँ - बस मुझे जगह याने कमरा दिखाओ,
प्रसव का सारा समान दिखाओ और बाद में फिर रचना बहू से मिलवा देना।
सुलेखा - गौरी काकी आप दाई जी को कमरा सामान माने तैयारी दिखाओ मैं और कमला
रचना के पास जा रहे है-और मिल भी लेगें
सास - ठीक है आप आइये - - तो ले ये है कमरा जहॉं आप प्रसव करायेगी
दाई - वाह कमरा तो बढ़िया है -रोशनी अच्छी है -हवादार है -
सास - मेरा कमरा है ये
दाई - बस यहॉं से ये पेटी;ये बक्सा ये सब हटवा दीजिएगा और साफ करवा दीजिएगा;
बाकी कमरा बढ़िया है ठीक है
सास - मेरा कमरा है ये - दो दो खिड़कियाँ है ।
दाई - और बाकी क्या व्यवस्था कर रखी है आपने ।
सास - हाँ-वो -वो - ये नया बढ़िया साबुन है - बहुत मंहगा है 14 रूपये का- और
नया धागा- ये सफेद ही लिया दीनू ने मैने तो - कोई रंगीन धागा....
दाई - दीनू ने अच्छा किया-और ब्लेड
सास - ये रहा- मैने तो पूरा पैकेट ही मंगवा लिया थोडा खर्चा हो जाय पर तैयारी में
कमी नहीं होनी चाहिए - थोडे़ पैसे जरूर ज्यादा -
दाई - कपड़ा दिखाईये
सास - वो तो मैनें अपनी साड़ी फाड़ दी थी - और ये देखो दीनू की टेरीकाट की शर्ट
खराब नहीं और ज्यादा पुरानी भी नहीं है - पर ऐसे में ये सब नहीं देखा जाता - मैंने तो कहा --
दाई - कपडे़ नहीं चलेंगे - इन्हें बदलिये -
सास - क्यों ये टेरीकाट का कपडा है और ये सिन्थेटिक साडी - इसमें क्या बुराई है -
अच्छे खासे तो हैं।
दाई - नहीं सूती कपड़े ही चलेंगे - सूती कपड़े - सिर्फ सूती कपड़े समझीं
सास - हाँ- समझ गई...पर
दाई - और कपड़े बिल्कुल साफ धुले हुए होने चाहिये।
सास - अच्छा - ठीक है
दाई - और अब मुझे रचना से मिलना है।
सास - हाँ-हाँ तो चलिये।
दाई - कैसी हो रचना बिटिया - सब ठीक है।
रचना - हाँ दाई जी...सब ठीक है, अभी तक तो कोई परेशानी नहीं है।
दाई - बढ़िया
सुलेखा - इसका ब्लडप्रेशर भी बिल्कुल नार्मल है -पिछले माह कुछ बढ़ा हुआ था पर अभी
तो लगातार नार्मल आ रहा है।
दाई - अच्छी बात है...रचना बीच में कभी तुम्हें बुखार वगैरह - सर दर्द या चक्कर
जैसा तो नहीं आया।
रचना - नहीं दाई जी
दाई - और वो - मैंने तुम्हे पहले भी कहा था वो वहाँ से बदबूदार पानी वगैरह की
शिकायत तो नहीं हुई।
रचना - नहीं।
दाई - बहुत बढ़िया - वैसे भी तुम काफी स्वस्थ दिख रही हो - खाने वाने मे कोई
कोताही नहीं की तुमने ठीक से पौष्टिक खाना खाया है।
रचना - जी वो
सास - क्या जी - वो तो मुझे जब कमला ने बोला था कि एक अतिरिक्त पौष्टिक खुराक
भी देनी है वो दिन है और आज का दिन है रोज इसे डाँट-डपट के खिलाती हूँ।
दाई - आपने बहुत अच्छा किया - यही एक काम अच्छा किया । अच्छा रचना तुम्हारे
प्रसव के लिए मै तो खैर तैयार थी पर तुमसे मिलकर ऐसा लगा कि तुम भी पूरी तरह
तैयार हो बहुत अच्छा लगा -
सुलेखा - दाई जी आप संतुष्ट है माने सब ठीक है ।
कमला - मतलब 2-3 माह मे गौरी काकी को दादी दादी बोलने वाला या वाली....
दाई - तीन नहीं - मेरा अनुभव कहता है कि तीन माह से पहले ही ये काकी दादी बन जायेंगी।

लेखक
- डॉ रोजश टंडन

प्रतिभागी - नम्रता बाजपेयी, संध्‍या, श्‍वेता पांडे, ऐश्‍वर्य लक्ष्‍मी बाजपेयी, पदमामणि
प्रस्‍तुति - संज्ञा टंडन

1 comment:

  1. उम्दा पोस्ट
    सुंदर पॉडकास्ट के आभार

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