पंचम एपिसोड
प्रसव
सूत्रधार 1- पिछले अंको में केयर इंडिया छत्तीसगढ़ से प्रसारित इस प्रयोजित धारावाहिक रचना में आपने सुना, रचना अपनी किशोरावस्था में थी मात्र 15 वर्ष की आयु में उसकी माँ ने उसकी शादी कराने की कोशिश की लेकिन घर में दादी और रचना के पिता ने ऐसा होने नहीं दिया। साढ़े 18 साल की होने के बाद रचना की शादी दीनू से हुई जो काफी समझदार है। स्वास्थ्य केन्द्र जाकर उसने सारी जानकारियां ली थीं। रचना को भी आंगनबाड़ी दीदी ने समझायाकि बच्चों की जल्दी नहीं करना। शादी के दो-ढाई साल के बाद उन दोनों ने पैसों की कुछ बचत भी कर ली, और शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो गये। गौरी काकी को खबर हुई कि वो दादी बनने वाली है, हाँ रचना के घर में भी आंगनबाड़ी दीदी, सुलेखा दीदी, नर्स दीदी, कुन्ती दाई, और निसा मितानिन ने इन नौ महिने में रचना को बहुत सहयोग दिया। गर्भावस्था के दौरान क्या खाना है, कैसे रहना है, सारी बातों में उसे और गौरी काकी को विस्तृत रूप में समझाया, रचना के गर्भावस्था को नौ महीने पूरे हो चुके हैं और अब कभी भी खबर आ सकती है कि रचना माँ बन गई है। चलिये हम भी चलें रचना के घर पर।
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रचना - सुनिये
दीनू - हाँ कहो।
रचना - अब आप काम पे बिलासपुर जाना बंद करिये।
दीनू - क्यों क्या हुआ?
रचना - वो पिछले बुधवार दाई कह रही थी कि बस एक-आध हफ्ते की बात हैं और आज....आज बुधवार है।
दीनू - लेकिन अभी तुम्हें दर्द वर्द तो हो नहीं रहा है। और फिर आज मैं काम पे थोड़े ही जा रहा हूँ वो पेमेन्ट लेना है। बस पैसे लिये और वापस।
रचना - लेकिन जल्दी आना...मुझे डर लग रहा है।
दीनू - डरना कैसा रचना - माँ हैं घर में - कमला दीदी तो आजकल रोज ही आ रही हैं। दाई भी आज आने वाली है और अपना रामेश्वर तो गाड़ी तैयार करके बैठा है। तुम बिल्कुल चिंता मत करो।
रचना - वो सब ठीक है लेकिन जब आप पास रहते है तो मुझे अच्छा लगता है, बिल्कुल चिंता नहीं रहती। पर...
दीनू - रचना बस मैं यूं गया और यूं आया। थोड़े पैसे और इकट्ठे हो जायेंगे तो काम ही आयेंगे। सब ठीक होगा रचना तू बिल्कुल चिंता मत करना। ठीक।
रचना - जी..पर आप जल्दी आना, निसा मितानिन को बोलते हुये जाइयेगा।
दीनू - हाँ।
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(सिलाई मशीन की आवाज)
रामू - ऐ रामू।
रामू - क्या?
सास - वो कपड़ा उठा दे।
रामू - लेकिन आप ये सब क्या सिल रही हैं।
सास - तेरे भतीजे के लिये कपड़े।
रामू - लेकिन वो तो अभी पैदा भी नहीं हुआ।
सास - तो क्या हुआ...तैयारी तो करनी पड़ती है ना।
रामू - अच्छा...? पर उसे पुराने कपड़े क्यों पहनायेंगे? नये नये कपड़े बाजार से भी तो खरीद सकते हैं।
सास - नहीं रामू -एक तो उतने छोटे नये कपड़े बाजार में मिलते नहीं। फिर वो थोड़े कड़े होते
दीनू - कहाँ है माँ रचना।
सास - जा जल्दी से मिल ले फिर बाहर आ जा।
कमला - ज्यादा देर नहीं लगाना दीनू और वहाँ कुछ छूना मत।
कुंती - चलो मेरे हाथों में पानी डालो, हाथ धोने है।..लाओ साबुन दो...हाँ बस बस (पानी की आवाज)
हाँ अब ठीक है।
सास - ये लो तौलिया
कुंती - मैंने आपसे तौलिया मांगा क्या?
सास - नहीं..पर...
कुंती - मैं चलूं समय हो गया है।
कमला - गौरी काकी....प्रसव कराते समय हाथ धोने के बाद तौलिये से हाथ नहीं पोंछते, हवा में ही सुखाते हैं
सास - क्यों
कमला - संक्रमण का डर रहता है।
सास - हे भगवान सब ठीक-ठाक हो जाये, सवा किलो लड्डू चढ़ाऊँगी।
निशा - अब आप यहाँ आराम से बैठ जाओ, सब ठीक हो जायेगा।
रामू - दीनू भैया तो बहुत घबराये हुये थे। बार बार पूछ रहे थे रचना कैसी है? रचना कैसी है? और इतनी तेज साइकिल चलाये कि मोटरसाइकिल भी उतनी तेज नहीं चल सकती।
सास - बहुत चाहता है रचना को मेरा दीनू, लो वो आ गया, रचना कैसी है बेटा।
दीनू - बहुत दर्द है उसे माँ बहुत तकलीफ है।
निशा - अरे बेटा ये तकलीफ तो हर माँ को होती है। बस थोड़ी देर और फिर ये दर्द..खुशी में बदल जायेगा ...बस कुछ देर और....
रामू - याने मैं चाचा बनने वाला हूँ ऽ ऽ
रचना की आवाज - आ..आ..आ
निशा - बधाई हो, बधाई हो
सास - हो गया.....क्या हुआ।
निशा - पहले मिठाई तो खिलाओ।
सास - ए परेशान मत कर जल्दी बता क्या हुआ।
निशा - पहले मिठाई
सास - तो बता कौन सी मिठाई खिलाऊँ।
निशा - लड्डू।
सास - माने..माने पोता हुआ है।
निशा - हाँ गौरी काकी पोता हुआ है। आप दादी बन गईं। (थाली बजाने की आवाज)
और दीनू तुम बाप बन गये हो।
रामू - और मैं चाचा.... चलो अंदर चलो।
निशा - अभी रुको...थोड़ा काम बचा है, पूरा होने दो फिर देखना बच्चे को।
सास - हाँ अभी बच्चे को नहला धुला कर साफ...
कमला - अरे नहीं गौरी काकी, बच्चे को तो तीन दिनों तक नहीं नहलाना है।
सास - क्यों ऐसे ही गंदा रहेगा क्या?
कमला - अरे नहीं...उसे पोंछ कर साफ कर देंगे, तीन दिनों बाद नहलायेंगे...अभी नहला दोगे तो डाभा हो जायेगा।
दीनू - डाभा क्या?
निशा - निमोनिया...तीन दिन के पहले बच्चे को नहलाने से बच्चे को डाभा मतलब निमोनिया होने का खतरा होता है।
कुंती - आ जाओ अब सब भीतर आ जाओ।
(हाय कितना अच्छा है, बिल्कुल बाप पर गया है, अरे नहीं रे रचना पर गया है)
बस दूर से ही देखो।
सास - आहा बहुत सुंदर है मेरा पोता...लाओ शहद लाओ...मैं इसे शहद चटा दूं।
कुंती - आपको इसे पानी भी नहीं देना है, शहद की बात करती हैं।
सास - हर बात में मत टोका कीजिये आप।
कमला - नहीं मांजी कुंती दाई ठीक कह रही है। अभी इसे कुछ नहीं देना है।
सास - तो इसे देंगे क्या, इसका गला नहीं सूख रहा होगा।
निशा - इसे अभी सिर्फ माँ का दूध देना है और कुछ नहीं।
कुंती - माँ का पहला दूध बच्चे के लिये अमृत के समान होता है। चलो रचना थोड़ा इधर घूम जाओ और आप लोग थोड़ी देर के लिये बाहर जाइये। रचना मातृत्व का पहला पाठ सीखेगी।
सास - ये कुंती का बोलना मुझे ठीक नहीं लगता।
कमला - अरे उसके बोलने का ढंग भर ऐसा है, बाकी वो बहुत अच्छी और अनुभवी है। ये सब वो इसलिये कर रही है जिससे आपका पोता और बहू स्वस्थ रहें।
सास - मुझे तो खैर .....अब छोड़ो... ऐ..दीनू मैंने रचना के लिये कासा पानी और बिस्कुट रखे हैं..थोड़ी देर बाद दे देना।
कमला - कासा पानी और बिस्कुट...ये क्यों।
सास - अरे प्रसव के बाद ऐसे ही हल्का फुल्का देना चाहिये।
कमला - नहीं गौरी काकी.....उसे तो बल्कि आप पूरा खाना दीजिये, वो भी पौष्टिक खाना।
सास - - क्यो वो भारी नहीं होगा।
कमला - नहीं गौरी काकी, वो तो बहुत जरूरी है।
सास - क्यों?
कमला - उसे अब अपने बच्चे को दूध भी पिलाना है और प्रसव के बाद शरीर कमजोर भी तो होजाता है। उसे 2-3 रोटी, दलिया, दाल वगैरह पौष्टिक चीजें दो और मैं तो कहती हूँ आप ज्यादा ध्यान इसी बात पर दीजियेगा। देखती रहियेगा कि रचना ये सब खा रही हे कि नहीं। अगर न खाये तो...
सास - एक डाँट लगाऊँगी तो उसका पति भी खायेगा। वो मैं सब देख लूंगी। तू तो बस मेरी गोदी में मेरा पोता दिलवा दे-थोड़ी देर के लिये ही सही।
कुंती - लीजिये अपना पोता, बस थोड़ी देर के लिये ही दे रही हूँ...और आपको बहुत बहुत बधाई दादी बनने की।
सास - आप मुझे बधाई दे रही हैं...
कुंती - क्यों मैं क्या आपको बधाई नहीं दे सकती।
सास - नहीं नहीं वो बात नहीं है। मुझे दरअसल आप थोड़ी....
कुंती - कठोर, क्रूर, बददिमाग लगी थी...हैना...
सास - हाँ बिल्कुल...वैसे सही बताऊँ मैं तो तुम्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं कर रही थी।
कुंती - अब
सास - आओ गले मिलो ....और....बहुत बहुत धन्यवाद
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