Wednesday, December 15, 2010

ek purani post

गुज़रा हुआ जमाना आता नहीं दुबारा.........



Ashok bajaj ke saathRadio celone ke announcers
50-60 के दषक में श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कार्पोरेषन का बोलबाला घर घर में था। सीलोन से बजने वाले कार्यक्रम बिनाका गीतमाला, मराठा दरबार की महकती बातें और भी ढेर सारे कार्यक्रम लोगों को ज़बानी याद थे और इन कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने वाले उद्घोषकों की आवाज़ें आज भी लोगों के ज़ेहन में मौजूद हैं। अमीन सयानी, मनोहर महाजन, विजयलक्ष्मी, रिपूसूदन ऐलावादी, कुमार आदि के नामों से रेडियो के पुराने श्रोता आज भी जुड़े हुए हैं। बल्कि इन आवाज़ों से फोन पर सीधे बातचीत करके सुनते भी रहते हैं। लेकिन इनमें से कई आवाज़ जब एक साथ मंच पर आज की तारीख में जमा हो जाएँ तो यही कहा जाएगा न कि गुज़रा हुआ ज़माना लौट आया है दुबारा।
Ripusudan Alawadi
20 अगस्त 2010, रायपुर के चैम्बर ऑफ कॉमर्स का हॉल और मंच पर अंबिकापुर, रायपुर, बिलासपुर के आकाशवाणी केन्द्रों के उद्घोषकों के साथ मौजूद थे मनहर महालन, रिपुसूदन ऐलावादी वॉयस ऑफ अमेरिका की विजयलक्ष्मी डी सेरम और हिन्दी फिल्मी गीतों के गीतकोष क लेखक हरमिन्दर सिंह ‘हमराज़’। श्रोता दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम में चाईबासा बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली, इंदौर, कटनी व छत्तीसगढ़ के हर क्षेत्र से तकरीबन 350 श्रोताओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज़ करवाई। अषोक बजाज के नेतृत्व में इस आयोजन में छ.ग. के संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने भी अपने विचार रखे और कहा कि रेडियो का आज भी अलग महत्व है। श्रोता सबसे बड़ा सरौता होता है यानि सबसे बड़ा समीक्षक श्रोता ही है। आयोजन की सबसे महत्वपूर्ण बात थी 1200 घंटे अपनी आवाज डिस्कवरी चैनल को देने वाले, फैषन षो में हिन्दी को स्थान दिलाने व बरकरार रखने वाले, अपनी जिंदगी के अनेक वर्ष सीलोन से देष भर में अपनी वाक्कला का जादू बिखेरने वाले मनोहर महाजन ने देष के हर हिस्से को छोड़कर रायपुर को चुना अपनी किताब ‘यादें सीलोन की’ के विमोचन के लिये। षायद इससे भी बड़ी बात थी 14 वर्ष सीलोन और 24 साल वॉयस ऑफ अमेरिका में अपनी मधुर आवाज की तरंगें फैलाने वाली विजयलक्ष्मी जी वाषिंगटन से यहाँ इस कार्यक्रम के लिये, अपने पुराने श्रोताओं से मिलने के लिये आईं। इन दोनों से कम समय सीलोन में व्यतीत करने वाले रिपुसूदन ऐलावादी जो कुमार के नाम से लोकप्रिय रहे हैं भी आज तक मुबई में आवाज के जरिये ही अपना नाम कमा रहे हैं, 4 वर्षों के कोलबो के सफर की यादें अब भी ताजा हैं उनके जेहन में जिसे श्रोताओं के साथ बाँटने में उन्होंने कोई कंजूसी नहीं की।
Manohar Mahajan ki book 'yaden celone ki' ka vimochan
रेडियो सीलोन का दो घंटों के लिये पुनः प्रसारण शुरू होना एक उपलब्धि है, लेकिन इस प्रसारण समय में वृद्धि कराना एक चुनौती बन चुका है। रेडियो सीलोन के प्रषंसकों का जमावाड़ा, पुराने उद्घोषकों के प्रति लगाव व श्रद्धा का जज़्बा और गुज़रे ज़माने को वापस लौटाने का श्रोताओं का जुनून सफलता पाकर रहेगा।

2 comments:

  1. ‘यादें सीलोन की’ पुस्‍तक की कुछ और जानकारी दें तो रोचक होगा. (फॉन्‍ट सुधार सुझाव- पोस्‍ट में 'श' की जगह 'ष' दिख रहा है, शायद कन्‍वर्शन के कारण.)

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  2. बाहोत खूब बयान । आप की आवाझ को तो कहना ही क्या, जब कि आप खूद ही वोईस आर्टीस्ट् है !

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