Saturday, December 11, 2010

रे‍डि‍यो धारावाहिक रचना-6

एपिसोड नंबर 6
बच्चे का 1 महीने तक का होना

सूत्रधार-1    रेडियो धारावाहिक रचना के 5 एपिसोड़ आप सुन चुके हैं जिसमें रचना कि कहानी उसकी  किशोरावस्था से शुरू हुई थी, और पिछले एपिसोड में वह एक स्वस्थ शिशु कि माँ भी बन चुकी है। पहले एपिसोड में आपने जाना कि किशोरावस्था और उम्र का नाजुक दौर किस तरह से खतरनाक हो सकता है, और कम उम्र में शादी के क्या दुष्परिणाम हो सकते है। दूसरा एपिसोड रचना कि शादी की सही उम्र से जुड़ा हुआ था, जिसमें गांव की आंगनबाड़ी और महत्वपूर्ण सुविधाओं के साथ, बच्चों के बीच अंतर रखने की जानकारी से भी आप अवगत हुए। तीसरे एपिसोड में गर्भावस्था के दौरान कौन-कौन सी सावधानियाँ रखनी चाहिएँ और गांव तथा आंगनबाड़ी की दीदी, नर्स, अन्य रिश्तेदारों की महत्ता को समझाया गया, चौथे एपिसोड में गर्भावस्था के अंतिम चरण की सावधानियां, खतरे की पूर्व जानकारी, गर्भावस्था के पूर्व तैयारियों के बारे में रचना की कहानी में आप ने सुन, और पांचवे एपिसोड  में प्रसव के दौरान आने वाली समस्या, जानकारी और रचना की एक स्वस्थ शिशु की माँ बनने की कहानी, रोचक प्रंसगों के साथ आपके द्वारा सराही गई। आज रचना के घर छठी मनाई जा रही है, तो चलें हम और आप वहाँ मिठाई खाने।



(महिलाओं की भीड़नुमा आवाज़ें, रामू की आवाज़ नाश्ते के लिए, म्यूज़िक लाउडस्पीकर से गाने की)
1 -        सुना है रचना का लड़का बहुत सुंदर है
2 -        तूने देख लिया क्या
1 -        आज तो छठी है - इंतज़ाम तो अच्छा किया है दीनू ने
3 -        वैसे दीनू है अच्छा लड़का
1 -        और रचना क्या बुरी है - वो भी दीनू से कहीं भी कम नहीं
3 -        सबसे बढ़िया तो ये लगा कि रचना के आने के बाद अपनी गौरी काकी बदल गई
1 -        हाँ नहीं तो इतना खर्चा वो करतीं
2 -        अरी वो कहाँ खर्च कर रही है दीनू ने काफी पैसे जोड़ लिए हैं
3 -        लगता है गाँव भर को न्योता दिया है
2 -        चलो हम भी चले अंदर
3 -        अरे अभी अंदर ज्यादा लोग है, कुछ कम हो जाए तो चलें
1 -        लो फूलकंवर आ रही है - लगता है वो बच्चे को देख आई
2 -        आओ फूलकंवर कैसा है बच्चा
फूल-       बच्चा तो अच्छा है - बिल्कुल रचना के नैन नक्शे हैं उसके
1 -        अच्छा और वजन कैसा है
फूल-       वो तो पता नही देखने में तो अच्छा स्वस्थ है -बता रहे थे कि 3 किलो वज़न है उसका
2 -        क्यों तूने उसे गोद में उठा के नहीं देखा।
फूल-        कहाँ -बच्चे को तो मच्छरदानी से ढँक दिया है। गौरी काकी किसी को भी बच्चे को हाथ नहीं लगाने दे रही -बोलती है - दूर से ही देखो ......गोदी मे लेने से प्यार से संक्रमण हो सकता
है- अब बाहर से ही बच्चे को देखा और चलो।
2-        ऐसा तो क्या मतलब - चलो नाश्ता पानी करो और चलो।
1-        अरे नहीं -गौरी काकी तो बहुत समझदारी का काम कर रही हैं।
2-        क्यों -इसमें क्या समझदारी -हम उसे गोदी पा लेंगे तो क्या उसे कुछ हो जाएगा।
नर्स -     हाँ - हो भी सकता है, अगर हाथ साफ न हो।
1-        अरे नर्स दीदी आप, नमस्ते --
नर्स -     नमस्ते - हाँ फूलकुँवर, संतोषी ठीक कह रही है -अगर बच्चे को सब लोग गोदी लेकर प्यार करेंगे तो उसे तकलीफ भी होगी और संक्रमण का खतरा कई गुना बढ़ जाएगा - इसलिए    बहन बुरा मानने की बात नहीं है -बच्चे को जरूर देखो आशीर्वाद दो और क्योंकि खुशी की बात है तो मिठाई भी खाओ।
1-        बिल्कुल ठीक कह रही हैं आप नर्स दीदी -आप भी छठी में आई हैं।
नर्स-      छठी में भी आना हो गया और बच्चे की जाँच भी कर लूँगी।
2-        ये बहुत अच्छा है वैसे उसका वजन बता रहे हैं कि
नर्स-      करीब 3 किलो है - ठीक है बच्चे का वजन ढाई किलो से ऊपर होना चाहिये 2 किलो से कम होने पर खतरा हो सकता है। पर अपनी रचना का बेटा वजन मे बिल्कुल ठीक है।
2 -       2 किलो से कम वजन में खतरा रहता है?
नर्स-      हाँ -ऐसे में बच्चे को तंरत अस्पताल ले जाना चाहिये।
1-        वैसे गौरी काकी को आपने ही बताया होगा बच्चे को मच्छरदानी में रखना और दूसरों से संक्रमण लगने वाली बात
नर्स-      हाँ क्यों...
फुलकुँवर-  तभी -मै कहूँ ।
2-        कि गौरी काकी इतनी समझदार कैसे हो गई ......................
-    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -
रामू-      चलो सब लोग गये, अब जाके फुरसत मिली,
रचना-     तुझ पर बहुत बोझ पड़ गया है ना काम का।
रामू-      अरे नहीं, काहे का बोझ, वो अपने गोली को देखते ही सब काम हो गया,
रचना-     थक गये होंगे, थोड़ा आराम कर लो।
रामू-      आराम तो आप को करना है, गौरी काकी ने पपीता भेजा है इसे खाँ कर आपको सोना है इसे खाइये और थोड़ी देर तक आराम कीजिए। और तब तक गोलू के पास मुझे बैठना है।
रचना-     ऐसा माँ जी ने कहां है।
रामू-      हाँ, अगर उनकी बात नहीं मानेगी तो तगड़ी सी डाँट के लिये तैयार रहना।
रचना-     बाबा रे बाबा, ला पपीता, देख आधा तू खा ले, आधा मैं खा लूंगी
रामू-      और गौरी काकी को पता चल गया तो.....
रचना-     अरे कैसे पता चल जायेगा।
रामू-      उन्हें सब पता चल जाता है, अगर ऐसा हुआ तो आप गई काम से
रचना-     अरे, लेकिन पूरा पपीता मैं कैसे खाऊँ..
रामू-      चलिये थोड़ा सा बचा लीजिएगा, गोलू को दे देंगे,
रचना-     हैय....गोलू को... अरे रामू अभी गोलू कुछ नहीं खा सकता,
रामू-      क्यूं
रचना-     उसके मुहँ में दाँत है क्या
रामू-       नहीं।
रचना-     तो कैसे खायेगा,
रामू-      उसे पपीता मसल कर देगें।
रचना-     नहीं रे रामू अभी 6 महीने तक गोलू को कुछ नहीं देना है। सिर्फ दूध पीना है उसे दूध के अलावा कुछ भी नहीं देना।
रामू-      लेकिन उसे भूख लगे, प्यास लगे, तभी नहीं।
रचना-     नहीं, कमला दीदी बताई थी की 6 महीने तक गोलू को कुछ भी नहीं देना है।
रामू-      और आप तो लीजिए।
रचना-     क्या
रामू-      पपीता
रचना-     अरे, फिर तू पीछे पड़ गया दोनों आधा-आधा
रामू-      कोई आधा नहीं, गौरी काकी बोली थी कि ये आप के लिए बहुत जरूरी है, आप खाइये तब तक मैं गोलू का ख्याल रखूँगा,
रचना-    इतनी बड़ी-बड़ी बातें करता है तू रे,
रामू-     बड़ा तो हो गया हूँ तो बड़ी-बड़ी बातें नहीं करूँगा।
रचना-    चल हट, बड़ा हो गया। तू जा और आराम कर मैं भी खा कर आराम कर लूंगी।
रामू-     और गोलू
रचना-    वो मैं देख लूंगी, वैसे भी वो अभी सो रहा है, 
-    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -
पति -   अले लेले - क्या देख रहा है -ए गोलू - रचना देख ये हंस रहा है, तू तो बड़ी तैयार दिख
        रही है कहीं जा रही है क्या।
रचना-    हँस नहीं रहा मुस्कुरा रहा है।
पति-     वैसे इसकी मुस्कुराहट बिलकुल तुम्हारी तरह है कितना अच्छा लगता है मुस्कुराते हुए।
रचना-    हाँ, बहुत अच्छा लगता है लेकिन सुबह से 5 दस्त हो चुके है, दिन भर रो रहा है।
पति-     अरे तो नर्स दीदी को दिखाया।
रचना-    वहीं जा रहे है, माँ जी आती होगी।
पति-     बोलो तो यही बुला दूँ नर्स दीदी को।
रचना-    नहीं पास में ही तो जाना है कितनी दूर है, और वैसे भी वो आते-जाते खुद हमारे बच्चे को देख जाती हैं।
सास-    रचना ये रचना चल, अभी तो हमारा गोलू ठीक है।
रचना-    हाँ, माँ जी चलिये।  हम लोग इसे दिखाकर आते हैं। चलिये मां जी।
-    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -
नर्स-     कब से हो रहे है दस्त इसे
रचना-    अभी चार-पाँच घण्टे से
नर्स-     और कितने दस्त हो चुके हैं?
रचना-    वैसे 4-5
नर्स-     वैसे घबराने की जरूरत नहीं है इसे सिर्फ माँ का दूध पिलाओं बाहर का दूध बिलकुल नहीं
रचना-    और दवाई वगैरह
नर्स-     अभी इसकी कोई जरूरत नहीं है अभी इसे सिर्फ माँ का दूध पिलाओ दिन में 7-8 बार और रात में 3-4 बार।
सास-     ऐसा, लेकिन इस से रचना का..
नर्स-      कुछ नहीं अरे काकी माँ जितना दूध पिलागी उसे उतना ही दूध बनेगा। गर्मी में केवल माँ का ही दूध देना है समझी काकी।
सास-     हाँ लेकिन इसे बीमारी वगैरह थोड़ी ना है।
नर्स-      नहीं इसे बी.सी.जी. का टीका भी लग चुका है वजन भी ठीक है वैसे वजन हर महीने कराना है आपको इसका। बाकी कोई परेशानी नजर नहीं आती है। हाँ बस इसे 6 माह तक माँ का ही दूध देना।
सास-    ठीक तो सुलेखा ड़रने की कोई बात तो नहीं
नर्स-     हाँ बिलकुल
सास-     तो चलो रचना चले........................................
- - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -
सास -    आओ कमला आओ
कमला -   कैसा है अपना गोलू।
सास -    मस्त है। ऐसे हाथ पाँव चलाता है कि पूछो मत।
कमला -  ऐसा।
सास -    हाँ और जब अपनी गोल गोल आँखों के देखता हुआ मुस्कुराता है तो बस क्या बताऊँ    कमला मैं तो धन्य हो गई, उसे तो छोड़ने का मन ही नहीं करता।
रचना -    सुबह से रात तक माँ जी गोलू गोलू करते घूमती रहती है जब इसका दूध का समय होता है तभी बस मुझे मिलता है।
सास -    क्यों पूरी रात भी तो तेरे पास रहता है।
कमला -  चलो अच्छा हुआ गौरी काकी आपका समय आप बढ़िया गुजरेगा।
सास -    मेरे बेटे बहू ने मेरी मुराद पूरी कर दी है।
-    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -    -
पति -    रचना.....रचना देख गोलू ने मेरे ऊपर फिर सू सू कर दी। मेरे ऊपर ही करता है ये हमेशा           सूसू।
रचना -    आई।
सास -    गोलू की लंगोटियाँ आँगन में सूख रही हैं।
रचना -    ठीक है माँ जी।
कमला -   गौरी काकी एक बात बताओ।
सास -     पूछो।
कमला -   जितना ख्याल आप गोलू का रखती हैं, उतना रचना का भी रखती हैंं या नहीं।
सास -    रखती हूँ, क्यों नहीं रखूँगी। आखिर उसने अपनी कोख से मुझे इतना बड़ा सुख दिया है।
कमला -   ये तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन उसके खान पान पे ज्यादा ध्यान रखना। स्तनपान कराने वाली माँ के आहार में अभी भी एक अतिरिक्त भोजन देना जरूरी है। तेल दलिया देते ही     रहना और दलिया तो सिर्फ बहू को ही देना है बाकी कोई दूसरा ना खाए।
सास -    अच्छा - वैसे बाकी खाना तो ठीक ही खाती है।
कमला -  मैं तो कहती हूँ उसे तिरंगा भोजन दो।
सास -    तिरंगा भोजन....माने.....
कमला -  केसरिया, सफेद और हरे खाद्य पदार्थ...केसरिया गाजर, सेव, पपीता, संतरा, दालें आदि,
सफेद में चावल, मूली, मछली, अंडा, दूध, दही, घी वगैरह और हरे में सारी हरी सब्जियाँ।
सास -    ये तो तुमने बहुत बढ़िया बताया तिरंगा भोजन।
कमला -    हाँ -ये संपूर्ण पौष्टिक आहार है जो स्तनपान कराने वाली माताओं के लिये बहुत जरूरी है। इतनी दफे माँ अपना दूध बच्चों को पिलाती है तो उसे भी तो पौष्टिक आहार की जरूरत होगी।
सास -    समझ गई, मैं सब समझ गई। रामू ...ओ रामू....
रामू -    जी,  बताइये।
सास -    ये ले पैसे, थैला ले, बाजार जा और गाजर, सेव, संतरा, घी, भाजियाँ सब ले आ।
रामू -    पर इतनी सारी चीजें कैसे लाऊँ।
सास -    अपने सिर पर लाद के ला। कैसे भी ला पर तुरंत लो।.......और सुन.....

No comments:

Post a Comment