Thursday, January 13, 2011

बोलते शब्‍द - डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा

जन्म -
17.8.1934, मुरादाबाद (उ.प्र.), शि‍क्षा - एम.ए. (हिंदी, भाषाविज्ञान)
पी-एच.डी.व डी.लिट् (भाषाविज्ञान)
विश्‍ववि‍द्यालयीन सेवा-
असिस्टेंट प्रोफेसर (भाषाविज्ञान) सागर  (17.11.1959 से 19.7.1966)
रीडर (भाषाविज्ञान) रायपुर  (20.7.1966 से 12.8.1978)
 प्रोफेसर (भाषाविज्ञान) रायपुर  (13.8.1978 से 31.7.1994)
 सेवानिवृत्ति के बाद से अवैतनिक मानसेवी प्रोफसर, रायपुर
प्रकाशि‍त पुस्तकें- लगभग 50             कुछ खास
हिंदी में अशद्धियाँ, हिंदी का नवीनतम बीज व्याकरण, मानक हिंदी का शद्धिपरक व्याकरण, हिंदी का शुद्ध प्रयोग
मानक हिंदी लेखन-नियमावली (पुस्तिका), मानक हिंदी का (व्यवहारपरक) व्याकरण, मानक हिंदी के शुद्ध प्रयोग-खंड 1, खंड-2, खंड-3, खंड-4, खंड-5, खंड-6, भाषिकी के दस लेख, भाषाविज्ञान का सामान्य ज्ञानछत्तीसगढ़ी- संदर्भ-निदर्शनी, छत्तीसगढ़ी-मुहावरा-कोष, छत्तीसगढ़ी: परिचय और प्रतिमान, छत्तीसगढ़ी को शासकीय मान्यता, छत्तीसगढ़ी-हिन्दी-शब्दकोष (संपादन-सहयोग), छत्तीसगढ़ी मुहावरे और लोकोक्तियाँ छत्तीसगढ़ी लेखन का मानकीकरण, मानक छत्तीसगढ़ी का सुलभ व्याकरण।आड़ी-टेढ़ी बात, लवशाला, अच्छा बनने की चाह, खंड-1, खंड-2, सुख की राहें, सफलता के रहस्य
प्रकाशि‍त लेख एवं संदर्भिका
हिंदी भाषा और भाषाविज्ञान विषयक 1065, अन्य विषयों पर  512, आकाशवाणी से 144 वार्ताओं आदि का प्रसारण, शोधपत्रिकाओं, अन्य पत्र-प़िकाओं, संकलनों, विषेषांकों और अन्य ग्रंथों में छपे लेखों की संख्या   154
निर्देशन में पूर्ण करवाए गए शोधकार्य और उपाधिधारी
डी.लिट्  05, पी-एच.डी. 39, एम.फिल. 24, परियोजनाएँ    6
प्राप्त अलंकरण और सम्मान    लगभग 15 सम्मान
Linguistics and Linguistics : Studies in Honour of Ramesh Chandra Mehrotra  
Linguistic Sosiety of India, Poona, SEAL OF HONOUR, XXth All India Conference of Linguists, Lucknow

भारत सरकार की हिंदी साहित्यकार विवरणी में छत्तीसगढ़ के केवल दो लेखकों और हिंदी प्रचारकों में से एक
नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति (उपक्रम) कोलकाता सम्मान
पंडित सुंदरलाल शर्मा सम्मान, छत्तीसगढ़ राज्य शासन व अन्य 11 सम्मान
विद्वज्जनोचित संस्थाओं से विविधस्तरीय न्यूनाधिक संबद्धता
विश्‍ववि‍द्यालय अनुदान आयोग, संघ लोकसेवा आयोग, केन्द्रीय हिंदी निदेशालय, वैज्ञानिक तकनीकी शब्दावली का स्थायी आयोग -परामर्शदात्री समिति, राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशि‍क्षण केन्द्र परिषद्, केन्द्रीय हिंदी शि‍क्षण मंडल, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय,मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद्, लिंग्विस्टिक सोसायटी आफ इंडिया, हिंदी साहित्य सम्मेलन, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, भारत सरकार कर्मचारी चयन आयोग (मध्य क्षेत्र), भारतीय भाषा परिषद, हरियाणा साहित्य अकादमी, बिहार राज्य सहायक सेवा चयन मंडल, राजस्थान लोक सेवा आयोग, मध्य प्रदेश उच्च शि‍क्षा अनुदान आयोग, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग, मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी-प्रबंधक मंडल एवं कार्यसमिति, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद्, मध्य प्रदेश पाठ्य पुस्तक निगम, मध्य प्रदेश भाषाविज्ञान परिषद्, आकाशवाणी परामर्शदात्री समिति, 22 विश्‍ववि‍द्यालयों के शोध-अनुभाग!



डॉ. रमेश चंद्र महरोत्रा की कुछ पुस्‍तकों के अंश का ऑडि‍यो अब से इस साइट पर उपलब्‍ध होता रहेगा। आमतौर पर हम एक समान अर्थों वाले या समान दीखने वाले शब्‍दों को समझने में कठि‍नाई महसूस करते हैं। भाषावैज्ञानि‍क द़ष्‍ि‍ट से उनके सूक्ष्‍म अंतरों का वि‍श्‍लेषण डॉ.महरोत्रा द्वारा शब्‍दों के जोडों के रूप में कि‍या गया है......'बोलते शब्‍द' (लेबल) के अंतर्गत शब्‍दों के ये जोडे पॉडकास्‍ट के रूप  क्रमश:अवलोकनार्थ प्रस्‍तुत.....उम्‍मीद है लाभान्‍ि‍वत होंगे.......

बोलते शब्‍द  
1. आमंत्रण और नि‍मंत्रण




 2. आचरण और चरि‍त्र


10 comments:

  1. सुखद जानकारियां

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  2. सर को सादर नमन. उनके काम का कोई हिस्‍सा, जो उपयुक्‍त लगे वेब पर उपलब्‍ध हो तो स्‍वागतेय होगा.

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  3. shabdon ki uttam vyakhya ke liye dhanyavaad.

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  4. संज्ञा जी कोटिश: साधुवाद ! "बोलते शब्द" से न केवल आप अपने पापा के कार्यों को सामने ला रहीं हैं वरन हिंदी प्रेमियों को अनुपम उपहार भी दे रहीं हैं. इसका विश्वव्यापी प्रचार हो ये हम सबका प्रयास होगा!

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  5. संज्ञा जी कोटिश: साधुवाद ! "बोलते शब्द" से न केवल आप अपने पापा के कार्यों को सामने ला रहीं हैं वरन हिंदी प्रेमियों को अनुपम उपहार भी दे रहीं हैं. इसका विश्वव्यापी प्रचार हो ये हम सबका प्रयास होगा!

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  6. संज्ञा, गुरुदेव को सुनना और गुनना अच्‍छा लगा। मैं आज जो कुछ भी हूं, उसके पीछे गुरुदेव का ही हाथ है। उनका वरद हस्‍त मुझे सदा प्रेरित करता रहे, यही कामना। तुमने उनके विचारों को इस तरह से हमारे सामने लाने का प्रयास किया है, वह सराहनीय है। बस इसी तरह यादों को समेटते रहो, सहेजती रहो, मेरी शुभकामनाऍं।

    महेश परिमल

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  7. itni achhi jankari dene ke liye danyabad

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  8. हिन्दी के अध्येताओं के लिए एक बहुपयोगी पुस्तक।

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