Monday, December 20, 2010

रेडियो धारावाहिक रचना - 9

एपिसोड नंबर 9
संक्षिप्तिका
सूत्रधार 1-  रचना को हमने पिछले अंको में किशोरी बालिका के रूप में, दुल्हन के रूप में, बहू के रूप में, और फिर अच्छी माता के रूप में देखा लेकिन आज रचना कहां है?
सूत्रधार 2- जानना चाहोगी।
सूत्रधार 1- हाँ
सूत्रधार 2- बिलासपुर जिले में आज जिला स्तर स्वस्थ शिशु प्रतियोगिता हो रही है। हमारी रचना को पूरी ग्राम पंचायत और सभी सहमति से अपने ग्राम पंचायत के प्रतिनिधित्व करने के लिए भेजा गया है।
सूत्रधार 1- वहां पर क्या हुआ है।
सूत्रधार 2- वहां जो हुआ है, सरला वहां चल कर सुनते है।
सूत्रधार 1- चलो।


संचालक -  भाइयों और बहनों स्वस्थ माता और स्वस्थ बालक प्रतियोगिता में आपका स्वागत है। नतीजे बताने का समय आ चुका है और मैं आपको ये बता दूँ कि इस बार के नतीजे बेहद चौंकाने वाले हैं। हमारी संस्था के और इस प्रतियोगिता के इतिहास में ये पहला अवसर होगा जब स्वस्थ माता और स्वस्थ शिशु का ये पहला इनाम शहर से बाहर जायेगा। जी हाँ अब अंदाज लगाइये, बिल्कुल भी नहीं लगा सकते। तो चलिये मैं ही बता दूँ, हमारे पाँच जजों के पैनल ने जिसमें जिलाधीश महोदय, केयर की अधिकारी और महिला बाल विकास अधिकरी के साथ शिशु रोग विशेषज्ञ भी हैं। इन सबका एकमत निर्णय है कि ग्राम धरदेई जो शहर से 35 किलामीटर दूर है वहाँ की रचना और उनके बेटे गोलू को जाता है। (तालियाँ)
रचना -    चल बेटा।
गोलू  -    माँ ये सब क्या हो रहा है?
रचना -    तुमको इनाम मिल रहा है ना।
गोलू -     क्यो माँ?
रचना -    तुम अच्छे बच्चे हो।
गोलू -     मैं तुम्हारी बात मानता हूँ और अच्छे से खाना खाता हूँ इसलिये!
संचालक -  आइये आइये रचना जी।
रचना -    धन्यवाद।
संचालक -  आपको स्वस्थ माता का इनाम हमारी संस्था से मिलने पर बहुत बहुत बधाइयाँ और आइये मास्टर गोलू आपको स्वस्थ बालक का इनाम बहुत मुबारक हो।
गोलू  -    थैंक्यू।
संचालक -  आइये आप दोनों जिलाधीश महोदय से अपना इनाम प्राप्त कीजिये।  (तालियाँ)
संचालक -  तो मास्टर गोलू आप बड़े होकर क्या करोगे?
गोलू -     मैं पापा, मम्मी और दादी के पास रहूँगा।
संचालक -  लेकिन तुम बनोगे क्या?
गोलू -     मैं डॉक्टर बनूँगा और सब लोग की बीमारी दूर करूँगा।  (तालियाँ)
संचालक -  रचना जी आपने शहरी क्षेत्र के इतने सारे दावेदारों को पीछे छोड़कर स्वस्थ माता का पुरस्कार प्राप्त किया है और आपके ही बेटे ने स्वस्थ शिशु का। कैसे हो पाया ये सब।
रचना   -  जी!
संचालक -  मतलब ये .....सब कैसे हुआ।    
रचना -    जी...जी...मैं क्या बताऊँ।
संचालक -  अच्छा हमें इतना बता दीजिये कि इसका श्रेय आप किसको देंगी।
रचना -    जी इसका श्रेय मैं अपने पति, अपनी सास, आंगनबाड़ी दीदी कमला, नर्स सुलेखा और गांव की मितानिन दीदी को देती हूँ।
संचालक -  ओ हो.....इतने सारे लोगों को आप श्रेय देंगी।
रचना -    जी हाँ, दरअसल इन सबके मिले जुले प्रयासों के कारण ही ये संभव हो पाया है।
संचालक -  आपकी बातें बड़ी रोचक लग रही हैं। रचना जी निश्चित ही आपके मन में बहुत सारी बातें होंगी। हमारा आपसे निवेदन है कि आप अपनी बातें हमें विस्तार से बताइये। क्यो साहबान सुनना चाहेंगे रचना जी की कहानी उन्हीं की जुबानी।    (तालियाँ)

रचना -    मैं...मैं...कहाँ से शुरू करूँ.....
संचालक -  हाँ हाँ...कहिये कहिये...
रचना -    .......थोड़ा पहले से शुरू करूँ........हाँ....तब जब मैं अल्हड़ सी रचना गाँव में दौड़ती भागती लोगों को हैरान-परेशान कर दिया करती थी

फ्लैश बैक.......
माँ -     क्यों रचना, ये चुन्नी में क्या बांध रख है तूने और तू आ कहाँ से रही है? ये...ये चोट कोहनी में कैसे लगी?
रचना -   आम हैं माँ, कच्चे आम। वो गंगू चाचा की बाड़ी में इत्ते आम लगे हैं, इत्ते आम लगे है एक पत्थर मारो, चार गिरते हैं...खूब सारे आम तोड़े।
माँ-       तू अकेले गंगू की बाड़ी में आम....
रचना -    अकेले नहीं माँ रामू था...घासी था...जमना थी...शांति थी...फजल और सुरेश और राधे भी था।
                         
रचना -    फिर सही उम्र में मेरी शादी की गई। माता पिता की जिद थी कि 18 साल से पहले मेरी शादी नहीं करेंगे और मेरी खुशनसीबी थी कि मुझे एक सुलझे हुये पति मिले।

फ्लैश बैक......
(शहनाई...., मंत्रोच्चार आदि की आवाजें)
पति-     जानती हो रचना मैं खुद स्वास्थ्य केन्द्र गया था और बर्थ स्पेसिंग याने बच्चों में अंतर आदि के बारे में सारी जानकारी और उसके उपाय सब समझे हैं मैंने। तुम बिल्कुल चिंता मत करो।
                          
रचना -  जब गोलू पेट में था मेरी सासू माँ, यानि सबकी गौरी काकी, मेरी बहुत देखभाल करती थीं। जो जो आंगनबाड़ी दीदी, मितानिन या नर्स दीदी कहतीं वो सब करती थी और मुझसे करवाती थीं।

फ्लैशबैक-
सुलेखा -   गौरी काकी-गौरी काकी...अपने कुलदेवता को प्रसाद चढ़ा दो। रचना माँ बनने वाली है।
सास -    सच...हे भगवान...मेरी बरसों की इच्छा पूरी हो गई...........................
कमला -   आओ तुम्हारा पंजीयन कर दें।
सास -    पंजीयन.....? वो क्यों?
कमला -   पहली तिमाही में प्रत्येक गर्भवती का आंगनबाड़ी में पंजीयन करवाने से माँ के स्वास्थ्य की लगातार जाँच भी होती है और जरूरी दवाएँ और सलाह मिलती रहती है। .......................
कमला -   रचना को डाँट के बोलना कि दोपहर में दो घंटा आराम करे।
सास -    ऐसा...ठीक है मैं उसे दो घंटे बिस्तर से उठने ही नहीं दूंगी।
कमला -   और गौरी काकी, उसे एक अतिरिक्त भोजन भी करवाना - वो मना करेगी पर जिद करके उसे एक बार एक्सट्रा खाना खाने को कहना।
सास -     क्यों वो क्यों।
कमला -   बच्चा क्या खायेगा जो पेट में और आपको दादी दादी कह कर बुलाने वाला है, उसे भी तो कुछ चाहिये, वो भूखा रहेगा क्या।
सास -    ऐसा...रचना को को तो मैं एक डाँट लगाऊँगी तो वो दो बार एक्स्ट्रा खायेगी।
                    
रचना -    दलिया तो मुझे खाना ही पड़ता था और आयरन की गोलियाँ भी । बीच बीच में नर्स दीदी  से परीक्षण भी होता रहा और प्रसव की तैयारी भी।

फ्लैशबैक-
कमला-    ये अपनी दाई है ना - प्रशिक्षित भी है और अनुभवी भी। ये सब संभाल लेगी, क्यों कुन्ती। बस मुझे जगह याने कमरा दिखाओ, प्रसव का सारा समान दिखाओ और बाद में फिर रचना  बहू से मिलवा देना। आप आइये - 
दाई -   वाह कमरा तो बढ़िया है -रोशनी अच्छी है -हवादार है -और बाकी क्या व्यवस्था कर रखी है आपने ।
सास-    ये नया बढ़िया साबुन है - बहुत मंहगा है 14 रूपये का- और नया धागा-ये सफेद ही लिया दीनू ने मैने तो - कोई रंगीन धागा और ब्लेड

रचना- फिर अपने साथ ढ़ेर सारी खुशियाँ ले के गोलू इस दुनिया में आया।

फ्लैशबैक-
(बच्चे की रोने की आवाज)
                          
और मेरी सास और गौरी काकी तो बस उसी की होकर रह गई उन्होंने गोलू के देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी सारे टीके समय पर लगवायें और मुझे नियमित रूप से सम्पूर्ण आहार देती रहीं है।                           

फ्लेश बैक
सास-    रचना गोलू की मालिश हो गई
रचना-   जी माँ जी
सास-    उसे नहला दिया
रचना-   जी माँ जी
सास-    और उसे दूध पिलाया
रचना-   जी माँ जी
सास-    तूने खाना खाया
रचना-   जी माँ जी।
सास-    वो अतिरिक्त वाला खाना खाया थोड़ा और ज्यादा खाया तुझे अपने और गोलू दोनों का ख्याल रखना है।
रचना-   जी माँ जी।
सास-    फल वगैरह खाया।
रचना-   जी माँ जी।
सास-    जी माँ जी, जी माँ जी, ला गोलू को मुझे दे।
रचना-   जी माँ जी।
सास-    अले गोलू जा तैयार हो।
रचना-   वो क्यों माँ जी।
सास-    अरे आज कौन सा दिन हैं।
रचना-   मंगलवार।
सास-    तो आंगनबाड़ी केन्द्र नहीं जाना है.........आज तो तुझे बुलाया गया है ना वहां गोलू को टीका लगाना है।
                      
सुलेखा -    हाँ गौरी काकी और बच्चों को जो भी खिलाना चाहो वो माँ को खिलाओ। बच्चा दूध से उन पौष्टिक और अच्छी चीजों को ले लेगा।
सास -    ऐसा-चल रचना तू घर चल और आम खा। मुझे गोलू को आम खिलाने की इच्छा हो रही है। चल, जल्दी चल।
                         
रचना-    सासु माँ यानि सब से प्यारी गौरी काकी जुबान की थोड़ी तेज जरूर थी पर हम माँ बेटे का बहुत ख्याल रखती थी। थोड़ी डाँटती जरूर थी लेकिन मेरी और गोलू की सारी जरूरतें नर्स दीदी या आंगनबाड़ी दीदी से पूछ-पूछ कर करती थी।

फ्लैशबैक-
सास-      दलिया नहीं दवाई है, दूध की मलाई है
मितानिन-  सच में दलिया दवाई है जो बच्चों के लिए और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए जरूरी है।
कमला-     इसमें प्रोटीन होता है और धात्री के कमजोरी को भी दूर करता है उसके लिए आवश्यक दूध बनाने में भी सहायक होता है।
सास-    हाँ रे,
कमला-   हाँ लेकिन आप अपने बहू के लिए दलिया जरूर ले जाना और पहले की तरह इसे बराबर
सास-     बराबर -बराबर हिस्सों में बाँट कर रोज रचना को खिलाना ठीक
कमला,सास-  हा.....हा..हा...हा..हा
मितानिन-    कहाँ चली गौरी काकी
सास-        रचना की दवाई या यूँ कहो मलाई लेने।
                           
रचना-     फिर गोलू बढ़ता गया, गौरी काकी यानि मेरी प्यारी माँ जी आंगनदीदी मितानिन, सुलेखा नर्स और गोलू के पापा सब का लगातार सहयोग और स्नेह, मुझे और गोलू को मिलता रहा और आज मैं ये इनाम इन सबको समर्पित करती हूँ।  (तालियाँ)

संचालक-    रचना जी आपकी कहानी ने दिल को छू लिया आप की कहानी ये सिद्ध करती है कि थोड़ी सी समझदारी और देखभाल जानकार लोगों का सलाह और योजनाओं का लाभ हर माता और शिशु को स्वस्थ भविष्य दे सकती है, हम उम्मीद करते है कि हर गांव में रचना जी जैसी स्वस्थ माता हो और गोलू जैसे स्वस्थ शिशु हो, रचना जी आपके और आपके गोलू को एक बार फिर बहुत-बहुत बधाईयाँ और शुभकामनाएँ।

1 comment:

  1. रेडियो रूपक, आकाशवाणी बिलासपुर की प्रस्‍तुति.

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