Thursday, October 14, 2010

रे‍डि‍यो धारावाहिक रचना-3

तृतीय एपिसोेड
गर्भावस्था (प्रथम चरण)

सूत्रधार 1- रचना की शादी हुई थी पिछले एपिसोड में, उसके बाद ढाई साल बीत गये है तब रचना और उनके पति जो बहुत समझदारी से पूरी प्लानिंग के साथ उन्होंने नया जीवन जीना सीखा था उन्होंने दो, ढाई साल में अपने परिवारिक जिम्मेदारियां भी निभाई, अपनी माँ को लेकर हरिद्वार गये। आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुये, मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हुये, उसके बाद उन्होंने माँ-बाप बनने का फैसला लिया।
सूत्रधार 2- और रचना के सास के लिए वह दिन आ गया जिसका उनको इंतजार था।




सास - बहुत तरसाया बहू। साल भर परेशान किया तूने । देर से सही लेकिन जिंदगी की सबसे बड़ी खुशखबरी सुनने की घड़ी आ ही गई।
रचना - लेकिन माँ पहले पक्का तो हो जाए, जाँच तो हो जाए।
सास - वो तो अपन अभी चल रहे हैं। आज तो नर्स दीदी के आने का भी दिन है। चल जल्दी से तैयार हो जा। तैयार क्या होना, अच्छी खासी तो दिख रही है। मुँह में पानी मार और चल।
रचना - चल रही हूँ माँ, चल रही हूँ।
सास - पक्का होने के बाद ये खबर दीनू को तू ही देना।
रचना - मैं नहीं बताऊँगी। उनको आप ही बताइयेगा। मुझे लाज आयेगी। पर माँ पहले पक्का तो हो जाने दीजिये। अभी
15 दिन ही तो ऊपर हुये हैं।
सास - ठीक है चल, अभी तो आंगनबाड़ी चलें
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कमला - (आंगनबाड़ी दीदी) -अरे गौरी काकी नमस्ते। बहुत दिन बाद आना हुआ। तेरी हरिद्वार यात्रा के बाद एक बार
मिली फिर गायब ही हो गई। दो दफे आपके घर भी गई तो आपसे मुलाकात नहीं हुई। बहुरिया मिली थी।
सास - अरी कमला, ये शिकवा शिकायत छोड़, पहले ये बता कि सुलेखा नर्स आई है कि नहीं।
कमला - क्यों क्या हुआ? क्यों रचना.......ऐसा क्या....खुशखबरी.....सुलेखा...सुलेखा। खबर देने में साल भर का इंतजार करवाया, लेकिन मैं तो कहती हूँ, बहुत अच्छा किया। बढ़िया घूमे फिरे, मस्ती.....अरे सुलेखा जरा रचना की जाँच कर ले।
सुलेखा - अरे वाह रचना। आओ चलो अंदर चलो रचना। आखिरी बार महीना कब आया था।
रचना - पिछले महीने 2 तारीख को।
सुलेखा - और आज हो गई 27...माने..... उम्मीद तो बनती है। आओ बैठो। अरे कमला दीदी परदा नीचे कर दो और यहाँ किसी को आने मत देना।
कमला - ठीक है तू अपना काम कर। यहाँ मैं संभाल लूँगी। क्या बताएँ गौरी काकी, यहाँ सब कुछ इतना अच्छा है इतनी ट्रेन्ड नर्स है, पर ए.एन.सी. टेबल नहीं है।
सास - ए.एन.सी. टेबल क्या?
कमला - अरे जाँच की टेबल, जिस पर लिटा कर जाँच की जाती है। अभी आराम कुर्सी से ही काम चलाना पड़ता है।
सास - तो लेते क्यों नहीं?
कमला - फंड की दिक्कत है। अरे आप को तो सरपंच तुलेश्वर जी बहुत मानते हैं। आप ही उनको बोलकर ए.एन.सी.
टेबल की व्यवस्था पंचायत से करवा सकती हैं।
सास - बिल्कुल वो तो बहुत जरूरी है। अगली दफे मेरी बहू यहाँ जाँच के लिये आयेगी तो वही ...क्या...ए....
कमला - ए.एन.सी. टेबल
सास - हाँ वही ए.एन.सी. टेबल पर ही जाँच करवायेगी। मैं बोलती हूँ तुलेश्वर से।
सुलेखा - गौरी काकी-गौरी काकी...अपने कुलदेवता को प्रसाद चढ़ा दो। रचना माँ बनने वाली है।
सास - सच...हे भगवान...मेरी बरसों की इच्छा पूरी हो गई......याने याने मुझे दादी-दादी बोलने वाला कोई आने वाला है।
सुलेखा - हाँ बिल्कुल आने वाला है ...और अब रचना का ख्याल रखना। इसे अब बराबर अपनी जाँच करवाते रहना पड़ेगा।
कमला - गौरी काकी आपको बहुत बहुत बधाई और रचना तुम्हें भी। आओ तुम्हारा पंजीयन कर दें।
सास - पंजीयन.....? वो क्यों?
कमला - पहली तिमाही में प्रत्येक गर्भवती का आंगनबाड़ी में पंजीयन करवाने से माँ के स्वास्थ्य की लगातार जाँच भी होती है और जरूरी दवाएँ और सलाह मिलती रहती है। खैर चलो रचना अब तुम घर जाओ और जाकर थोड़ा आराम
करो। तुम्हें क्या करना है क्या नहीं, वो मैं शाम को आकर बताऊँगी। आज गृह भ्रमण में तुम्हारे घर भी आना है।
सास - पक्का आना...मिठाई भी खिलाऊँगी। हे भगवान मैं दादी बनने वाली हूँ। चल चल रचना घर चलें।
कमला - गौरी काकी. वो सरपंच जी आ रहे हैं, उनको वो जाँच वाली टेबल के लिये बोल देतीं।
(मोटर साइकिल की आवाज)
सास - ए तुलेश्वर...तुलेश्वर...ओ सरपंच जी सुनो।
सरपंच - क्या हुआ गौरी काकी मुझे सरपंच जी बोल कर शर्मिंदा मत करो..मैं तुम्हारा तुलेश्वर ही हूँ...पाँव लागूं।
सास - खुश रहो।
सरपंच - आप बड़ी खुश दिख रही हैं गौरी काकी, क्या बात है और रचना बहू भी साथ है।
सास - खुशी की तो बात है ही ...मैं दादी बनने वाली हूँ और दीनू बाप।
सरपंच - और मैं ताऊ...ये तो बहुत खुशी की बात है। मैं मिठाई मंगवाता हूँ।
सास - मिठाई तो मैं तुम सबको खिलाऊँगी। तू तो बस वो टे..ए. ...वो क्या टेबल थी कमला ...
कमला - ए.एन.सी. टेबल, गौरी काकी ।
सास - हाँ वही ए.एन.सी. टेबल...तू उसका इंतजाम अपनी पंचायत से करवा दे।
सरपंच - अभी-अभी तो वजन मशीन आंगनबाड़ी को दी हे हमने।
सास - वो तो तूने बड़ा अच्छा किया। अब एक धरम का काम समझ के ये जाँच टेबल की भी व्यवस्था पंचायत से करवा दे बेटा। लड़की जात को जाँच में सुविधा हो जायेगी।
सुलेखा - हाँ सरपंच जी । इसके बिना बड़ी परेशानी है। अब कैसे बतायें, महिलाओं को यहाँ वहाँ बिठाकर लिटाकर जाँच
करनी पड़ती है। इंन्फेक्शन का डर अलग रहता है। बहुत परेशानी.
सरपंच - ऐसी बात है तो वहले बताना था ना...मैं तुरंत इसका इंतजाम करवाता हूँ।
सास - मैं जानती थी तू मेरी बात नहीं टालेगा।
सरपंच - इसमें बात टालने वाली क्या बात है काकी, जनसेवा का काम है। नर्स दीदी तुम मुझे बताना कैसी टेबल बननी है..या खरीदनी है...मैं उसका इंतजाम करवाता हूँ। और गौरी काकी आप मिठाई का इंतजाम करो मैं शाम को घर आ रहा हूँ। (मोटर साइकिल स्टार्ट होने की आवाज) और दीनू को मेरी तरफ से बधाई देना।
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रचना - आप को एक बात बताऊँ।
पति - बताओ
रचना - वो ना.....वो ना.... मैं
पति - क्यों वो वो लगा रखा है...सीधे सीधे बताओ ना..
रचना - वो...वो...बचपन में मैं अपने दोस्तों के साथ गंगू चाचा की बाड़ी में मैं अपने दोस्तों के साथ घुस जाती थी और हम लोग खूब सारे आम तोड़ते थे। गंगू चाचा शायद सब देखते थे, पर अनजान बनते थे। फिर जब हम लोग
आम तोड़ लेते थे। तो वो हमारे पीछे दौड़ते थे और किसी एक को पकड़ लेते थे। जो पकड़ा जाता था उसे कान
पकड़ कर उठक बैठक करनी पड़ती थी। उन्होंने मुझे कभी नहीं पकड़ा जबकि मैं वहीं बाड़ी के किनारे बैठकर
आम खाती रहती थी।
पति - लेकिन ये सब तुम्हें अभी क्यों याद आ रहा है?
रचना - मुझे आज कच्चा आम खाने की इच्छा हो रही है। आम ला दो ना...सिर्फ 2-4 कच्चे आम।
पति - अब इस वक्त मैं कच्चे आम कहाँ से लाऊँ।
रचना - तो फिर थोड़ी सी इमली ले आओ...वो भी चलेगी।
पति - इमली! अच्छी जिद लगा रखी है, कभी आम कभी इमली।
रचना - तो फिर कोई खट्टा सा अचार ही ला दो, उसी से काम चला लूंगी।
पति - रचना तुम...ये क्या हो गया है तुम्हें...आम, इमली, अचार...खट्टा...खट्टा .......अरे रचना...क्या क्या...मैं सही सोच रहा हूँ...तुम...तुम ......मैं बाप....
रचना - हाँ आज ही जाँच करवाई है।
पति - ओ रचना...तुम बहुत अच्छी हो...मैं मैं बाप बनने वाला हूँ...ओ रचना मैं सचमुच बाप बनने वाला हूँ।
रचना - अरे अरे उतारिये मुझे...गिर जाऊँगी, उतारिये ना।
पति - हाँ-हाँ तुम यहाँ आराम से बैठो..तुम्हें अब अपना खूब ध्यान रखना है।
रचना - हाँ वो तो है। शाम को कमला दीदी घर आयेंगी। बोल रही थीं..बहुत सी बातें समझानी हैं।
पति - वो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता...कमला....वो बहुत अच्छे से अपनी बातें समझाती हैं। बहुत अनुभवी हैं, समझदार हैं।
रचना - समझदार तो आप भी है।
पति - वो तो मैं हूँ ही - स्वास्थ्य केन्द्र की सलाहें और तरीके अपना कर देखो, जब हमने चाहा तभी खबर मिली।
रचना - हाँ और इतने वक्त में आज कुछ रूपये भी हमारे पास हैं।
पति - अब तो मैं और मेहनत करूँगा, और पैसे बचाऊँगा, ताकि वक्त आने पर गाँठ में रकम पूरी हो। अगले 6-7 माह में काफी बचत करनी होगी...और उस समय के लिये गाड़ी की व्यवस्था भी करनी होगी।
रचना - उसके लिये तो अभी काफी समय है।
पति - तो क्या हुआ। गाड़ी की व्यवस्था के लिये अभी से रामेश्वर को बोल देता हूँ। उसके पास ट्रेक्टर ट्रॉली दोनों हैं।
रचना - कौन रामेश्वर?
पति - अरे वही सरपंच तुलेश्वर जी का छोटा भाई। मेरा अच्छा दोस्त है। वो मना भी नहीं करेगा।
रचना - आपको मेरा कितना ख्याल है, कितनी फिक्र है। अभी से सारी तैयारियों में जुट रहे हैं।
पति - हर वक्त ख्यालों में, ख्वाबों में तुम ही तुम तो रहती है। तुम्हारी फिक्र न करूँ तो किसकी करूँ, तो किसकी फिक्र करूँ।
रचना - सच!
पति - हाँ...तुम मेरी इकलौती बीवी जो हो।
रचना - ए.....
पति - हा..हा..हा..
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सास - काफी देर कर दी कमला तुमने आने में....
कमला - हाँ गौरी काकी, 5-6 घर होकर आखिर में आपके यहाँ आई हूँ...आराम से बातें करेंगे...रचना को बहुत कुछ समझाना है। नहीं मालूम क्यों उससे बात करने में बहुत अच्छा लगता है। बहुत अच्छी बहू लाई हैं आप।
सास - मेरी निगाहें कभी धोखा नहीं खातीं - उसमें बचपना है, लेकिन है बहुत अच्छी जो बोलो बिना शिकायत करे
करती है। कोई भी काम बोलो मना नहीं करती, सवेरे जो उठती है रात तक जुटी रहती है।
कमला - लेकिन काकी अब उसे थोड़ा आराम दो और दिन में कम से कम दो घंटे तो वो कुछ ना करे, सिर्फ आराम करे।
सास - हाँ वो पानी भरने से तो मैं खुद उसे मना करने वाली थी। बाल्टी या भारी सामान उठाना ठीक नहीं।
कमला - वो तो खैर बिल्कुल भी नहीं करना है। साथ ही दिनमें दो घंटे आराम करना बहुत जरूरी है काकी। रचना को
डाँट के बोलना कि दोपहर में दो घंटा आराम करे।
सास - ऐसा...ठीक है मैं उसे दो घंटे बिस्तर से उठने ही नहीं दूंगी।
कमला - और गौरी काकी, उसे एक अतिरिक्त भोजन भी करवाना - वो मना करेगी पर जिद करके उसे एक बार एक्सट्रा खाना खाने को कहना।
सास - क्यों वो क्यों।
कमला - बच्चा क्या खायेगा जो पेट में और आपको दादी दादी कह कर बुलाने वाला है, उसे भी तो कुछ चाहिये, वो भूखा रहेगा क्या।
सास - ऐसा...रचना को को तो मैं एक डाँट लगाऊँगी तो वो दो बार एक्स्ट्रा खायेगी।
कमला - नहीं बस एक बार काफी है। खाना बस पौष्टिक हो, दलिया, दाल ही बहुत है। और अब तो उसका पंजीयन हो चुका है आंगनबाड़ी में, हर मंगलवार उसके लिये दलिया वहाँ से मंगवा लेना।
सास - ठीक है...रचना ए रचना...इधर आ....
रचना - हाँ माँ जी...नमस्ते कमला दीदी।
कमला - नमस्ते नमस्ते।
सास - सुन रचना - तुझे दिन में एक बार अलग से भोजन करना है, वो जो मैं दूंगी। तुझे दिन में दो घंटे आराम करना है..चाहे जो हो जाये और कोई भारी सामान नहीं उठाना है। आज से तेरा पानी भरना बंद भले ही तू अपने पति
दीनू को बोल कि शाम को जल्दी घर आये पानी भरने...ठीक कमला।
कमला - हाँ बिल्कुल ठीक, लेकिन और भी बातें हैं रचना जिनका तुम्हें ख्याल रखना है।
रचना - क्या...आप बतायँ..मैं जरूर ख्याल रखूँगी।
कमला - तुम्हें कम से कम तीन बार ए.एन.एम. से अपने पेट की जाँच करवानी है। ब्लड प्रेशर, फीटस्कोप से पेट जाँच और वजन लेना उसमें बढ़ोत्तरी-कमी की जाँच बहुत जरूरी है।
सास - ऐसा!
कमला - इसके अलावा एक माह के अंतराल पर टिटनेस के दो टीके सुलेखा नर्स से तुम्हें लेने होंगे और आयरन की
गोलयाँ मैं तुम्हें दे दूंगी-लाल गोली। तीन महीने तक रोज एक गोली खाने के बाद खानी है और खूब सारा पानी
पीना है। हो सकता है ये गोली खाकर तुम्हे कभी कभी उल्टी जैसा लगे, शौच का रंग काला सा हो तो तुम्हें
घबराना नहीं है और गोली खाना बंद नहीं करना है। ये होता है ...ठीक है।
रचना - हाँ दीदी, खाना खाने के बाद रोज गोली लूंगी।
कमला - और खाना भी पौष्टिक लेना। नींबू, आंवला, टमाटर, संतरा जैसे विटामिन सी बहुत जरूरी हैं तुम्हारे लिये।
रचना - ये सब भी खाना है।
सास - ये सब मैं देख लूंगी।
कमला - गौरी काकी दायी की व्यवस्था रखना और वो भी प्रशिक्षित दाई।
सास - प्रशिक्षित दाई...वो क्यो भला?
कमला - देखो काकी या तो अस्पताल में प्रसव कराना और घर में कराना हो तो प्रशिक्षित दाई से ही कराना।
सास - कमला, दाई तो दाई होती है, कोई भी हो बच्चा तो पैदा हो ही जायेगा।
कमला - बात तो ठीक है, लेकिन ऐसे में जच्चा बच्चा कभी कभी खतरे में पड़ जाते हैं।
सास - क्यों?
कमला - अच्छा ये बताओ क्या किसी भी स्कूल में अंगूठा आदमी छाप गुरूजी बन सकता है?
सास - हैं...कैसे बन सकता है, खुद अंगूठा छाप दूसरों को क्या पढ़ायेगा।
कमला - ठीक वैसे ही अप्रशिक्षित दाई, किसी का सफल प्रसव कैसे करा पायेगी। जो दाई प्रशिक्षण ले चुकी होती है, वो अपना काम अच्छे से जानती है, इसलिये दाई तो प्रशिक्षित ही ढूँढना।
सास - ऐसा
कमला - अब मैं चलूँ और रचना मैंने जैसा समझाया है वैसा ही करना।
सास - उसकी चिंता तू मत कर कमला। मैं हूँ ना, मैं सब देख लूंगी। तुम बस बीच में आती रहा करो। मुझे तो सिर्फ तोतली बोली में दादी दादी सुनना है...और ये क्या इसका पति भी वही करेगा जो मैं कहूँगी। चल बहू...तू सबसे
पहले...फल खा...फिर दलिया ...फिर खाना.....फिर आराम.....फिर........

3 comments:

  1. वाह...अच्छा रहा ये सुनना भी ...पहला भाग से पढता हूँ, फिर आऊंगा यहाँ कमेन्ट करने :)

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  2. धन्‍यवाद अभि, पर बाकी प्रतिक्रिया का मुझे इंतजार है.

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  3. गर्भस्त महिला के लिए अच्छी जानकारी जुटाई है ...लेखन प्रभावशाली है ...

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