बोलते विचार 47
आलेख व स्वर - डॉ.आर.सी.महरोत्राएक साहब अकसर कहा करते हैं कि उनका फोटो कभी अच्छा नहीं आता। उनके कुछ फोटो हमने देखे। अच्छे-खासे थे; बल्कि दो-चार बहुत अच्छे थे-उनकी शक्ल से काफी ज्यादा अच्छे। पर नहीं उन्हें उनसे भी ज्यादा खूबसूरत फोटो चाहिए, क्योंकि वे अपने को बेहद खूबसूरत समझते हैं। असलियत यह है कि उन्हें अपनी खूबसूरती के बारे में सही जानकारी नहीं है।
हमारे एक पड़ोसी अपने से हर दृष्टि से बड़े लोगों की भी मामूली-से-मामूली बात को इस प्रकार विस्तार से समझाना शुरू कर देते हैं मानो वे अपनी सात बरस की बच्ची को समझा रहे हों। वे अपने को बेहद अक्लमंद समझते हैं। उन्हें अपने ज्ञान के बारे में सही जानकारी नहीं है। वे दूसरों के ज्ञान को बिलकुल नहीं आँक पाते।
उक्त प्रकार के लोग स्वयं में इतने लिप्त रहते हैं कि उन्हें यह भी सोचने की फुरसत नहीं होती कि संसार में और भी प्राणी रहते हैं। वे यह नहीं सोच पाते हैं कि दूसरे लोग उन्हें काफी नापसंद करते हैं। ऐसे स्व-केंद्रित लोगों से हम यह सीख ले सकते हैं कि हम उनके जैसे स्व-केंद्रित न बनें। हम समाज का सही अंग बनें। अच्छा बनने के लिए हम दूसरों का भी ध्यान रखना सीखें। हम स्वयं को जरूरत से ज्यादा सुंदर या योग्य या महत्वपूर्ण या अच्छा न समझें, क्योंकि हमारे समझने से कुछ नहीं होता । हम अपने को चाहे कितना भी अच्छा समझें, हम तब तक अच्छे नहीं हैं जब तक हमें दूसरे लोग अच्छा न कहें।
Production - Libra Media Group, Bilaspur (C.G.)
बढिया पोस्ट।
ReplyDeleteसीखने योग्य बातें।
नेक सलाह !
ReplyDeleteइस विचारणीय पोस्ट के लिये आपका आभार!
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