जून के पहले रविवार को भी शाम 4 बजे पहुंच गई हमारी फौज। आज इस फौज में गुरुघासीदास विश्वविद्यालय के चंद नये चेहरे भी मौजूद थे। दो दिन पहले ही 5 जून को पर्यावरण दिवस गुजरा था जिसमें इन नये चेहरों ने अनुज के निर्देशन में नगर में एक नुक्कड़ नाटक किया था और उसके पहले सुनील के निर्देशन मे अग्रज नाट्य दल की टीम पुणे में अपने नाटक ‘खबसूरत बहू’ का नाट्य प्रदर्शन करके लौटी थी। सभी उस रंग में रंगे थे।
सुनील ने आज बुजुर्गों की नाट्य-कक्षा ले ली। कुछ पुराने नाट्य गीतों जैसे ‘ एक थाल मोतियों से भरा, सबके सिर पर औंधा पड़ा’, ‘मैं हूं मोती नाला’ आदि को ग्रुप के लोगों ने सामूहिक रूप से गाया और बुजुर्गों को सिखाया। वाह...उनको भी बहुत मजा आया। एक बुजुर्ग ने कहा, ‘सीखने की कोई उम्र नहीं होती’। हमारी बातें सुनकर आपको भी जरूर आनंद आया होगा। एक महिला का कहना था ‘इतनी उम्र में भी हमने ऐसा अनुभव आज तक नहीं पाया’।
सुनील ने आज बुजुर्गों की नाट्य-कक्षा ले ली। कुछ पुराने नाट्य गीतों जैसे ‘ एक थाल मोतियों से भरा, सबके सिर पर औंधा पड़ा’, ‘मैं हूं मोती नाला’ आदि को ग्रुप के लोगों ने सामूहिक रूप से गाया और बुजुर्गों को सिखाया। वाह...उनको भी बहुत मजा आया। एक बुजुर्ग ने कहा, ‘सीखने की कोई उम्र नहीं होती’। हमारी बातें सुनकर आपको भी जरूर आनंद आया होगा। एक महिला का कहना था ‘इतनी उम्र में भी हमने ऐसा अनुभव आज तक नहीं पाया’।
इस दौरान हमारी महिला साथियों का काम एक कोने में चुपचाप चल रहा था। वे प्याज, टमाटर, मिर्च आदि काटने में मषगूल थीं। एक तरफ दोने रखे थे और मिक्षचर, मुरमुरा, चना, मूंगफली, कुछ चटनियां आदि सामान इनके चारों ओर रखा हुआ था। कुल मिलाकर भेल बनाने का कार्यक्रम चल रहा था।
हमने सब बुजुर्गो की जन्मतिथियां जाननी चाहीं तो किसी को पता नहीं थीं और किसी को याद नहीं थीें तो इस महीने से हमने एक काम और शुरू किया। हर महीने एक केक लाकर एक महिला व एक पुरुष बाबा-दादी के साथ उस महीने हमारे ग्रुप के जिस सदस्य का जन्मदिन उस महीने में होगा उसके साथ उनको केक कटवाने का काम। दूसरे ही दिन मेरा जन्मदिन था...मेरे लिये सरप्राइज था ये....दो बुजुर्गों के साथ मैंने केक काटा, सबने गाना गाया, केक खाया। बड़ों से आशीर्वाद लिया, छोटों को दिया।
पर्यावरण नाटिका |
डॉ.योगी द्वारा चिकत्सा सुविधा |
ड्रामा ट्रेनिंग खत्म होने तक भेल वितरण शुरू हो गया और अनुज के निर्देशन में गुरुघासीदास विश्वविद्यालय के छात्रों ने पर्यावरण नाटिका का प्रदर्शन वहीं पर आरंभ हो गया। भेल के साथ साथ नाटक का आनंद। बुजुर्गों के साथ हम सबको भी मिला आनंद, साथ ही हम पर बरसा ढेर सारे बाबा दादियों का एक बार फिर से आशीष। एक महीने के लिये उर्जा एकत्र करक, उनसे अगले महीने फिर से आने का वादा करके, हम सबने वहां से विदाई ली।
कुछ बुज़ुर्ग जिनसे हम हर महीने मिलने जाते हैं.......
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