Saturday, August 4, 2012

Bolte Vichar 62 गैर ज़िम्‍मेदार लोग और आप


बोलते विचार 62

गैर ज़िम्‍मेदार लोग और आप


आलेख व स्‍वर 
डॉ.रमेश चंद्र महरोत्रा 


राजेन्द्र शनिवार को घर आए थे। कहकर गए कि सोमवार को आपकी सामग्री पहुँचा दूँगा। अपना फोन नंबर भी दे गए। जब बुधवार तक उनका कोई अता-पता नहीं रहा तो उनके नंबर पर फोन किया। उधर से आवाज आई कि वे हैं नहीं, जब आएँगे तब उन्हें बता देंगे, वे आपसे बात कर लेंगे। रात को उन्हें दूसरी बार फोन किया। जवाब मिला कि वे आकर चले गए, उन्हें बताना भूल गया कि आपका फोन आया था। अगली सुबह फिर फोन किया। उधर से सूचना मिली कि वे कभी-कभी ही यहाँ आते हैं। यह फोन नंबर उनका नहीं, हमारा है।

ट्रांसपोर्ट वाले गांगुली साहब के कार्यालय में कुछ ज़रूरी बात करने के इरादे से गया। उनके असिस्टेंट ने कहा कि वे अभी तो कुछ घंटों के लिए बाहर गए हुए हैं, जैसे ही वापस आएँगे, उन्हें बता दूँगा कि आप आए थे। उसने काम पूछा। बता दिया। बोले, ठीक है, कल इसी समय आ जाइए। अगले दिन गया। असिस्टेंड ने देखकर कहा कि अरे, मैं उन्हें कल बताना भूल गया, अभी बता देता हूँ।

सुधीर बाजार में मिला। बोला, शाम को आपके यहाँ आऊँगा। कुछ खास काम था। इंतजार रहा। नहीं आया। फोन पर भी नहीं बताया कि वह नहीं आ पाएगा। अगली सुबह उसके यहाँ आया। उसने अपनी ओर से पिछली शाम न आने की कोई चर्चा नहीं की। जब पूछा तो बताया कि, हाँ मुझे जिस काम से आना था, मैं पूरा नहीं कर पाया था।

एक परिचित के यहाँ का नौकर घर से कुछ छोटा-मोटा सामान बेचने के लिए ले गया था। बाद में वह जब-जब तब-तब झुककर बोला कि आज शाम को हिसाब करने के लिए जरूर पहुँच जाऊँगा। उसके बारे में अन्यों से जिक्र करने पर पता चला कि वह उन पैंसों को शराब आदि में फूँक चुका है।

इस प्रकार की बातें आपके साथ भी रोज घटित होती होंगी। लेकिन मन छोटा न करें। गलत आदमी हर युग में रहे हैं और हर युग में रहेंगे। यदि आप दूसरों से अपनी सुव्यवस्थित चाहतों के अनुरूप अपेक्षाएँ करेंगे तो अक्सर दुःख पायेंगे। दूसरों के विश्वासघात तक को सहन करने की ताकत रखिए। आगे बढि़ए। जो खो गया उसे भुलाते चलिए। शायर के शब्दों में, जिन्दगी का साथ निभाते चलिए। लोगों के निम्न स्तरीय व्यवहार पर अपना मानसिक संतुलन न खोइए। उन पर क्रोध करके अपनी हड्डियों को कमजो़र न बनाइए। पोप ने कहा है, ‘क्रोध करना दूसरों की गलती का अपने से प्रतिशोध लेना है।’

यदि आप अच्छे हैं तो अपने चारों ओर के लोगों के दायित्वहीन व्यवहार का प्रभाव स्वयं पर वैसे ही मत पड़ने दीजिए जैसे कमल अपने चारों ओर की कीचड़ का प्रभाव अपने ऊपर नहीं पड़ने  देता।


Production - Libra Media Group, Bilaspur, India

1 comment:

  1. हमेशा की तरह प्रेरक. आपकी आवाज़ सुनकर अच्छा लगता है.

    सादर
    आलोक पुतुल

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