Sunday, December 4, 2011

बोलते वि‍चार 37 - आदमी मूलतः अच्छा ही होता है


बोलते वि‍चार 37
आलेख व स्‍वर - डॉ.आर.सी.महरोत्रा
जब कोई व्यक्ति किसी जाने-अनजाने व्यक्ति से उसकी घड़ी में टाइम पूछता है तो वह शायद ही कभी गलत टाइम बताता होगा। वह टाइम पूछने वाले के साथ यथाशक्ति विश्वसनीय व्यवहार करता है। इसी प्रकार जब कोई व्यक्ति किसी का ठौर-ठिकाना पूछता है तब वह अपनी जानकारी के हिसाब से उसे अधिकाधिक सही जानकारी देता है। वह उसकी स्वतःस्फूर्त निष्काम मदद करता है।
    
इन उदाहरणों से जाहिर है कि आदमी में अच्छापन मूल रूप से विद्यमान रहता है। यदि वह अपनी इस अच्छाई को विपरीत परिस्थितियों में भी बनाए रखता है, तब वह ‘बहुत बड़ा आदमी’ बन जाता है।


व्यक्ति अच्छे से बुरा किसी दबाव में ही बनता है। वह दबाव अनेक प्रकार का हो सकता है - कभी अभावों का, कभी लोभ का, कभी भय का, कभी अन्याय का इत्यादि।
   
अभावों में ठीक से जी पाना बहुत मुश्किल है। ‘भूखे भजन न होय गोपाला’ यदि किसी को पेट भरे के लिए खाना, तन ढ़कने के लिए कपड़ा और सुरक्षित रहने के लिए छत नसीब न हो तो वह सही रास्ते में भटक सकता है। जो व्यक्ति अभावों में भी अच्छा बना रहे, वह संत है।
    
लोभ का कोई अंत नहीं है। लोभी के लिए लाखों रूपए रोज की आमद भी कम है। चूँकि उसकी नीयत और हवस कभी पूरी नहीं होती, इसलिये वह अपनी लिप्सा-पूर्ति के मायाजाल में पड़कर मृत्युपर्यंत गलत कार्य करता चला जाता है। जो व्यक्ति लोभ को जीतता हुआ अपने अच्छेपन को न छोड़े, वह पूज्य है।
    
भय भी आदमी को अच्छाई से दूर कर सकता है। उसके दबाव में आकर कई बार आदमी अच्छा चाहते हुए भी विपरीत कार्य करने को मजबूर हो जाता है। जो व्यक्ति भय को नकारता हुआ बुरी करनी के चुगुल में न फँसे, वह महान् है।
    
अन्याय की अति विद्रोह को जन्म देती है। उसे सहते-सहते आदमी का हिंसात्मक तक हो जाना असंभव नहीं है। जो व्यक्ति अन्याय के सामने बिलकुल न झुके, वह सच्चा इन्सान है।
    
आदमी को पथभ्रष्ट करने के लिये उस पर भिन्न भिन्न प्रकार के दबाव जीवन भर पड़ते रहते हैं; पर जो व्यक्ति मानवता को नहीं छोड़ता और अपनी अच्छाइयों की जड़ें बनाए रखता है, उसे बुराईयों के झंझावात नहीं उखाड़ पाते। उसे कमजोर बनाने वाले दबावों को दबाने के लिए केवल दो चीजें चाहिए - त्याग और साहस। यदि वह इन दो हथियारों को हाथ में लेकर चले तो उसकी मूलभूत अच्छाई को कोई नहीं छीन सकता।

Production - Libra Media group, Bilaspur, India

4 comments:

  1. Aaj bahoot dino ke baad sir ki awaaz ko sun ne ka mauka mila aalekh and swar ke liye bahoot bahoot aabhar

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  3. सही हैं, डॉ साहब

    परन्तु
    त्याग और साहस को चीजें नहीं कहना चाहिए I
    त्याग और साहस तो त्याग और साहस ही होते हैं I
    जिनका अर्थ छोड़ना तथा बहादुरी होता हैं I
    धन्यवाद

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  4. सही हैं, डॉ साहब

    परन्तु
    त्याग और साहस को चीजें नहीं कहना चाहिए I
    त्याग और साहस तो त्याग और साहस ही होते हैं इ
    जिनका अर्थ छोड़ना तथा बहादुरी होता हैं I
    धन्यवाद

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